Our Philosophy

आज हमारा देश गंभीर संकट से गुजर रहा है। वंचित समुदाय की लगभग 95 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। एक तरफ गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और लाचारी बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ सत्ता में बैठे लोग जनता की गाढ़ी कमाई से बनी सरकारी संस्थाओं औने-पौने दामों में बेच रहे हैं। एक तरफ आम लोगों की हालत हर तरह से खराब होती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ देश में हिन्दू, मुस्लिम, गाय, आतंकवाद, पाकिस्तान जैसे बेकार के मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं।

आजादी के बाद भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय दिलाने का संकल्प लिया गया है। राजनीतिक न्याय का मतलब इस देश के उस समाज को सरकार में उचित प्रतिनिधित्व दिलाना था, जो सदियों से शासन की शक्ति से वंचित रहा है। आजादी के बाद वंचित, बहुसंख्यक और पसमांदा समाज के बीच कई राजनीतिक पार्टियां बनीं और इन पार्टियों के नेताओं ने इस समुदाय को कई सपने दिखाए। आज पूरे देश में बहुसंख्यक, पसमांदा और वंचित समुदाय की सैकड़ों पार्टियां हैं। सैकड़ों राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। हर पार्टी सिर्फ एक जाति विशेष का प्रतिनिधित्व करती रह गई है। बहुसंख्यक, वंचित और पसमांदा समुदाय के व्यापक हितों की बजाय एक जाति विशेष के हितों को पोषित करने के कारण ये पार्टियां एक राज्य को छोड़कर पूरे देश में विकास नहीं कर सकीं। सबसे बड़ी एक और समस्या जो इन पार्टियों के विस्तार में बाधक है, और वह है “पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव”। इन परिस्थितियों में वंचित, बहुसंख्यक और पसमांदा समुदाय की राजनीति में बहुत बड़ा संकट है। सम्पूर्ण राजनीतिक परिदृश्य में घोर बिखराव है तथा राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी व्यक्ति एक व्यापक पार्टी का गठन कर उसे एक साथ नहीं चला पा रहा है।

आज बहुसंख्यक, पसमांदा एवं वंचित समाज की पार्टियों में मुख्यतः तीन कमियां हैं। 1- ये पार्टियां घोर जातिवादी हैं तथा समय एवं राजनीतिक लाभ के अनुसार एक या दो जातियों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती हैं। 2- इन पार्टियों के नेता आजीवन राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहकर अहंकारी हो जाते हैं तथा अपने परिवार को ही पार्टी का मालिक बताते रहते हैं, जिसके कारण इन पार्टियों ने हमेशा पसमांदा, बहुसंख्यक एवं वंचित समाज को जोड़ने के बजाय उन्हें बांटने का काम किया है। 3- जिन राज्यों में बहुसंख्यक, पसमांदा एवं वंचित समाज की पार्टियां सत्ता में आईं, वहां इन पार्टियों के नेताओं ने अपने व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी नहीं बरती। चूंकि इनका सार्वजनिक जीवन भ्रष्टाचार के आरोपों से कलंकित रहा, इसलिए ये वंचित, बहुसंख्यक एवं पसमांदा समाज का नेतृत्व करने में विफल रहे। पसमांदा, बहुसंख्यक और वंचित समाज के अधिकांश नेता अपनी जाति के विकास को लेकर चिंतित थे और अपनी जाति के अलावा अन्य वंचित समाज को शासन में भागीदारी देने के बजाय उन समाज के लोगों को भागीदारी देने में गर्व महसूस करते थे जिन्होंने सदियों से वंचित समाज का शोषण किया और आज भी शोषक की मानसिकता रखते हैं। सामाजिक न्याय के तहत मंडल आयोग की रिपोर्ट में पिछड़े वर्गों में प्रतिनिधित्व के हिसाब से कई श्रेणियां बनाने का प्रावधान किया गया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। आज बहुसंख्यक, पसमांदा और वंचित समाज की राजनीति में बहुत बड़ा संकट और बहुत बड़ा शून्य है। इन परिस्थितियों में यह जरूरी है कि बहुसंख्यक, वंचित और पसमांदा समाज के लोगों के लिए एक लोकतांत्रिक पार्टी हो, जिसमें सभी समुदायों के लोगों की बराबर भागीदारी हो।

सम्यक पार्टी का गठन आज के बहुसंख्यक, वंचित और पसमांदा समाज के राजनीतिक विखंडन, राजनीतिक शून्यता और राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए किया गया है। लोकतांत्रिक राजनीति में पार्टी का कार्य लोकतांत्रिक संस्कार, संस्कृति और संगठन को मजबूत करना है। इन लोकतांत्रिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सम्यक पार्टी के संविधान की धारा 6 में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं- 1- किसी भी पद पर कार्यकाल केवल 3 वर्ष का होगा तथा कोई भी व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में किसी भी पद पर दो कार्यकाल से अधिक नहीं रह सकता है। 2- किसी भी व्यक्ति के कार्यकाल की समाप्ति या उसके त्यागपत्र या पद से हटाये जाने पर उसके परिवार का कोई भी सदस्य अगले कार्यकाल के लिए उस पद पर निर्वाचित होने के लिए पात्र नहीं होगा। 3- किसी भी परिवार से केवल एक ही व्यक्ति किसी विशेष कार्यकारिणी में पद धारण कर सकता है। 4- स्थानीय निकाय से लेकर संसद सदस्य के चुनाव में किसी एक परिवार से दो से अधिक व्यक्तियों का मनोनयन नहीं किया जा सकेगा। 5- राजनीतिक रूप से वंचित समाज के लोगों को उनकी आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए पार्टी संगठन और टिकट वितरण में प्राथमिकता दी जाएगी। 6- पार्टी संगठन, शासन, सत्ता, रोजगार, उद्योग, व्यापार आदि में महिलाओं की भागीदारी उनकी 50 प्रतिशत आबादी के अनुपात में सुनिश्चित की जाएगी। इन सभी नियमों में संशोधन पर भी पार्टी संविधान में पूर्णतया रोक लगा दी गई है।

सम्यक पार्टी में विभिन्न जातियों के बहुसंख्यक, वंचित और पसमांदा लोगों से लेकर हर स्तर पर नेतृत्व बदलता रहेगा और उन्हें हर क्षेत्र और पद पर भागीदारी मिलेगी। लोकतंत्र में राजनीति और सत्ता से वंचित लोगों द्वारा लामबंद होना लोकतंत्र की स्वाभाविक प्रक्रिया है। लोकतंत्र का मार्ग दिखाने वाली सम्यक पार्टी लोकतांत्रिक संगठन, सामूहिक निर्णय और सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करती है और इसके लिए प्रतिबद्ध है। सम्यक पार्टी का गठन व्यक्ति और समाज के विकास और राष्ट्र निर्माण तथा राजनीति में नैतिकता के उच्च मानदंड स्थापित करने के लिए किया गया है। सम्यक पार्टी राजनीति को व्यापार और कमाई का जरिया बनने से बचाने के लिए कटिबद्ध है। सम्यक पार्टी भारतीय संविधान की प्रस्तावना में वर्णित नीति, दर्शन, विचार और दृष्टि का अनुसरण करेगी तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्वों को लागू करेगी।

अतः आपसे अनुरोध है कि आप एक नई सोच, एक नई दृष्टि और एक नए मिशन के साथ आगे बढ़ रही सम्यक पार्टी से जुड़ें और वंचित समुदाय के अधिकारों और भागीदारी की लड़ाई को मजबूत करें और उसे तेज करें तथा एक समावेशी, मजबूत समुचित समाज और राष्ट्र का निर्माण करें। एक स्वस्थ लोकतांत्रिक राजनीति की शुरुआत करें, जहां राजनीति व्यापार न हो, कमाई का जरिया न हो, जहां राजनीति एक मिशन हो, सेवा का जरिया हो।